कुछ तो ऐसा करें ज़माने में
वक़्त लग जाए हमें भुलाने में
काम आसाँ नहीं चलो माना
हर्ज़ क्या है आज़माने में
अब कोई ताज नहीं बनाना है
न ख्यालों में कोई खज़ाना है
किसी भूले को रास्ता मिल जाए
लुत्फ़ है हंसने और हंसाने में
हर तरफ खुशियों की बहारे हों
चैन हो दिल में सुकून आँखों में
एक ऐसा जहाँ जो बन पाए
"दीप" अफ़सोस नहीं जलजाने में
कुछ तो ऐसा करें ज़माने में ....
कुछ तो ऐसा करें ज़माने में
ReplyDeleteवक़्त लग जाए हमें भुलाने में
अच्छी पंक्तिया है .....
http://oshotheone.blogspot.com/
लुत्फ़ है हंसने और हंसाने में.
ReplyDeleteसच कहा....जीवन में उतार लेने जैसी पंक्तियाँ हैं...बहुत प्रेरक रचना...काश हम सब इसे दिल में बिठा लें...
नीरज
बहुत खूब लिखा है जी,
ReplyDeleteकाम आसाँ नहीं चलो माना
हर्ज़ क्या है आज़माने में
बहुत अच्छे।
badhiyaa jee
ReplyDeletebahut achheeee
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है..
ReplyDelete