कुछ किताबों ने हमे बताया था
वतन का मेरे हाल सुनाया था
ग़जब के लोग यहाँ पे रहते थे
दास्ताँ सुनके मन भर आया था
अक्ल के तेज़ हुनर में अव्वल बड़े बहादुर थे
बात, जुबान और ईमान पे मरने वाले थे
एक मजहब था हिंदुस्तान कौन पराया था
बड़ी कुर्बानी देके ऐसा मुल्क बनाया था
आज कुछ खास नहीं दिखता है चारो ओर यहाँ
मस्त सब खुद में किसको परवाह पहुंचा देश कहाँ
यहीं आने को क्या गाँधी ने हमे चलाया था
क्या रानी झाँसी ने ख्वाब यही सजाया था
जश्ने आजादी था फिर आज, मैं देख के आया था
"दीप" उस चौराहे से एक तिरंगा लाया था
रात की रोटी है तोहफे में इस आजादी पे
बड़े छोटे हांथों ने झंडा बेंच के खाया था
man ko chhoti rachna
ReplyDeletewaah....kya khoob
ReplyDeletedil ko chhule aisa likha h ..