ऐसा तो नहीं है की
फिर प्यार न मिला
हाँ चाहत थी जिसकी
वो यार न मिला
ये सपनो की दुनिया
तो अब भी चल रही है
हाँ ख्वाब कोई वैसा
यादगार न मिला
इतना क्या कम है की
दिल में बस गए
क्या हुआ जो रिश्तों का
तार न मिला
ये जीना भी कोई
क्या जीना है कोई
जो रह रह के दर्द
बार बार न मिला
अब ये भी मुकद्दर का
लिक्खा ही समझ लेंगे
जो शख्स मिला हमको
बफादार न मिला
हैरत की बात "दीप"
है ये कायरों की दुनिया
दुश्मन भी मिला हमको
तो दिलदार न मिला
बहुत अच्छे दीप भाई ........
ReplyDeleteराजेश सिंह
मुंबई
kamaal hai...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।, बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeletebahut hi bhavuk kavita hai..
ReplyDeleteऐसा तो नहीं है की
फिर प्यार न मिला
हाँ चाहत थी जिसकी
वो यार न मिला
khas kar yah panktiya...
bahut hi acche jajbat hai apke