Sunday, July 1, 2012

दिल की सुनाते हैं ..

आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 
और एक बार वही वादे दुहराते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं...

देखे थे ख्वाब कभी मिलके जो हमने 
थोड़ी सी कोशिश और सच कर दिखाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

खुद की सुनने को आज वक़्त नहीं मिलता 
ज़िन्दगी की दौड़ में कुछ लम्हा ठहर जाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

बैठेंगे दो यार साथ कुछ तो करेंगे 
ख्वाइशों की लम्बी एक पर्ची बनाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

देखो जिधर गम की महफ़िल लगी है 
रोने वाले को चलो थोडा हंसाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

राह-ए-ज़िन्दगी में मिलते हैं कितने 
खास हैं वो नाम जो याद रह जाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

पत्थरों के घर की मियादें हैं छोटी 
लोगों के दिल को ठिकाना बनाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

बीत गया लम्हा न आएगा फिर से 
पल भर की सही आज खुशियाँ मानते हैं 
आज "दीप"  तुमको दिल की सुनाते हैं