Thursday, September 2, 2010

मेरे श्याम..

मालिक तेरे कितने नाम
राधा किशन कन्हैया राम
प्रेम की महिमा दिखलाने को
जन्मे जाकर मथुरा धाम

कहते हो आओगे तब तब
धर्म का होगा जब जब काम
फिर बोलो कब होगा मिलना
सच्चाई अब ढलती
शाम

कंस कई हैं आज यहाँ पर
भ्रष्टाचारी और बेईमान
प्रेम पे अब तो सज़ा बड़ी है
पंचायत दे मौत इनाम

देखे सुने जाए अब तो
होते हरदिन ऐसे काम
वस्त्र हरण तो आम बहुत है
माँ लेती बच्चे की जान

कलियुग में बाक़ी है अब कुछ
और नहीं अब लगता श्याम
जाओ इससे पहले की
दुनिया भूले तेरा नाम