Saturday, December 11, 2010

लाज

आज की शीला की कहानी
नयी अदा में बात पुरानी
घबराना कैसा फिर यारों
जब इंग्लिश पढने की ठानी

तेज़ जमाना जल्दी पाना
ठुमका तो मारेगी रानी
नज़र झुकाए खड़ी रही तो
वक़्त कहाँ जो देखे जानी

कहना उसका बुरा नहीं है
सोंच समझकर हमने मानी
जहाँ सभी हो पीनेवाले
कहाँ बिकेगा लाज का पानी

Thursday, December 9, 2010

देखा था हमने

धुंधली यादों में कुछ ,साये
बदले मौसम जब याद आये
कहने की तो बात नहीं है
हम सब हैं कुछ खोते आये

तेज़ भागती दुनिया में सब
आगे पीछे होते जाएँ
वक़्त कहीं तो चला गया वो
चलते थे जब साथ में साये

ऐसे ही
बदलेगी दुनिया
बदलेंगे सब रिश्ते नाते
हाँ लेकिन देखा था हमने
जो रह रह कर याद है आये