Tuesday, August 20, 2019

Kal ki suwah ke baad, koi raat nahi hai !
Ab dard hume de rula, Aukaat nahi hai !!
Halaat hausle se haar kar badal gaye !
Gumon me bhi pahele si rahi baat nahi hai !!


Sunday, January 27, 2013

गया है..


चलने की ख्वाइशें बड़ी कमज़ोर हो गईं 
न जाने कौन साथ मेरा छोड़ गया है 
ख़ामोश लग रही है काएनात अब मुझे 
गुफ्तगू के सिलसिले जो तोड़ गया है

क़दमों ने इस तरह  से परेशान किया है
जाना कहाँ है जैसे कोई भूल गया है 
धड़कन भी एक दम से बेइमान हो गई 
हैरान दिल भी हमसे अभी बोल गया है

Sunday, July 1, 2012

दिल की सुनाते हैं ..

आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 
और एक बार वही वादे दुहराते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं...

देखे थे ख्वाब कभी मिलके जो हमने 
थोड़ी सी कोशिश और सच कर दिखाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

खुद की सुनने को आज वक़्त नहीं मिलता 
ज़िन्दगी की दौड़ में कुछ लम्हा ठहर जाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

बैठेंगे दो यार साथ कुछ तो करेंगे 
ख्वाइशों की लम्बी एक पर्ची बनाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

देखो जिधर गम की महफ़िल लगी है 
रोने वाले को चलो थोडा हंसाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

राह-ए-ज़िन्दगी में मिलते हैं कितने 
खास हैं वो नाम जो याद रह जाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

पत्थरों के घर की मियादें हैं छोटी 
लोगों के दिल को ठिकाना बनाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

बीत गया लम्हा न आएगा फिर से 
पल भर की सही आज खुशियाँ मानते हैं 
आज "दीप"  तुमको दिल की सुनाते हैं 

Sunday, June 24, 2012

कुछ नया सा कर कुछ नई सुना..

फिसल जरा और धोखा खा 
गिरकर उठना सीख जरा 
बन जाएगा बड़ा खिलाडी 
हिम्मत रख मैदान में आ 

किस्मत वाला जीतेगा 
अब किसको ये मालूम नहीं 
गिर गिर कर बाज़ी मार जरा 
कुछ नया सा कर कुछ नई सुना

हिम्मत रख मैदान में आ ...

आंधी आई तूफां आया  
गाँव बह गया पानी में 
मिलती है हर साल खबर ये 
बदले नाम कहानी में 
इसके आगे बोल सके तो 
फिर है बात जवानी में 
और बुरा क्या हो पाएगा 
चलदे रात तूफानी में 

बहती धारा में सब तैरें
तू चलके उलटी धार में आ 
कुछ नया सा कर कुछ नई सुना 
हिम्मत रख मैदान में आ ...

Sunday, May 20, 2012

जब भी..

हाँथ बढाकर रोकू तुझको
हसरत कितनी बार रही 
कुछ मेरी किस्मत तुम ठहरी 
जब भी हद के पार रही 

सुवह को मिलने की खातिर 
हम रात नहीं सो पाते थे 
फिर दिन निकले मायूसी में 
ना जाने कितनी रात हुई 

दो दिलों ने हामी भर दी थी 
इस सच से तुम अनजान नहीं 
फिर दुनिया रस्म रिवाजों की 
तुमको कब से परवाह हुई 

कुछ तो था मालूम तुम्हे 
हम भी तो कहने वाले थे 
अफ़सोस रहा बेरुखी से क्यों 
ये ख़त्म कहानी यार हुई 

हाँथ बढाकर रोकू तुझको
हसरत कितनी बार रही ...



Tuesday, April 24, 2012

तेरा होना..

तेरा होना तो बहुत है मेरी सांसो के लिए 
धडकनों की मगर ख्वाइश तुझे पाने के लिए 


ज़िन्दगी का सफ़र तनहा भी काट लेंगे सनम 
बात होती जो तू हो साथ निभाने के लिए 


दर्द लेने से नहीं डर हमे हरगिज़ यारों 
तू जो हमदर्द हो मरहम को लगाने के लिए 


यूँ  तो रंगों से भरी ये कायनात खुदा 
हमे दिखता नहीं कुछ और सजाने के लिए 


दीप माना नहीं आसान है करना हासिल 
एक बहाना ही सही दिल को मानाने के लिए 

Saturday, April 21, 2012

कैसे..

दिल से लगाये रहें या खुलके इजहार करें
तुम्ही बताओ किस तरह तुम्हे प्यार करें

मुश्किल होता गुजारा बिन तुम्हारे दिन-ब-दिन
बरसों से सूखती ये ज़मी कैसे गुलज़ार करें

मुद्दतें हो गयी हैं हसरतों को समेटे
कुछ तो सोंचों और कितना इंतज़ार करें

हद हो गयी है दीप समझाने की दिल को
अब कौन सा बहाना हम खुद से इस बार करें