Tuesday, August 17, 2010

ये कवि..


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

देश की राजकुमारी का स्वयंवर था रचा
नौजवां देश के कवियों में था कुछ शोर मचा
ये शर्त थी की जो कविता को वो पसंद करे
उसी कविता के रचयिता से वो शादी भी करे
और तारीफ जो पसंद उसे आई नहीं
कवि समझे की कभी ज़िन्दगी थी पायी नहीं
अपनी तारीफ को सुनने का ढंग निराला था
कई कवियों का आज उसने दम निकाला था
मेरे हिस्से में भी पर्ची तो एक आई थी
कवि के नाम की तख्ती जो कल लगायी थी
बड़ी हिम्मत के साथ हम तो यहाँ आये थे
मगर हालात देख कर बड़ा पछताए थे
अब एक बार उन्हें देखने की ख्वाइश थी
मौत तो आज मेरे साथ चली आई थी
उन्हें देखा तो बहुत दूर तलक सोंच गए
लिखना तो दूर मेरे हाँथ तक थे मोच गए
तभी ख्याल हुआ ये तो न मिल पाएगी
कुछ करो यार नहीं ज़िन्दगी भी जाएगी
फिर आँख बंद और कागज़ को खोल दिया
ज़िन्दगी मौत बीच हांथो को छोड़ दिया
मेरे दिल के दिमाग में जो भी आया था
मैंने हांथो की मदत से वोही लिखाया था
फिर मेरी मौत का सामान कब छिना मुझसे
कुछ भी तो याद नहीं मुझको बस सिवा उसके
अभी यमदूत का भी एक रोल आना था
मेरा लिखा जो पास उसके तो पहुचाना था
बिना रिटेक के ये शाट भी पूरा था हुआ
अब मेरी ज़िन्दगी से उनका सामना था हुआ
कुछ एक देर तो कागज़ पे निगाह गाड़ी थी
फिर एक लोच भरी मेरे पे भी डाली थी
मैं इधर ज़िन्दगी और मौत बीच जूझ रहा
और इस घडी में वो कागज़ था उन्हें सूझ रहा
फिर तो चेहरे पे मुस्कराहटो के फूल खिले
और एक जड्चेतना के बाद इधर हम भी हिले
मेरी करतूत शायद उनके दिल को भाई थी
मेरी करनी ने मेरी ज़िन्दगी बचाई थी
उनकी तारीफ समझ "दीप" के न आई थी
खुदा का शुक्र जो तस्वीर ही बनायीं थी

13 comments:

  1. नमस्कार,

    हिन्दी ब्लॉगिंग के पास आज सब कुछ है, केवल एक कमी है, Erotica (काम साहित्य) का कोई ब्लॉग नहीं है, अपनी सीमित योग्यता से इस कमी को दूर करने का क्षुद्र प्रयास किया है मैंने, अपने ब्लॉग बस काम ही काम... Erotica in Hindi. के माध्यम से।

    समय मिले और मूड करे तो अवश्य देखियेगा:-

    टिल्लू की मम्मी

    टिल्लू की मम्मी ९२)

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  2. कुछ तो सोंचा होगा उसने "दीप" तेरे वास्ते यूँ हे बेमकसद किसी को ज़िन्दगी मिलती नहीं

    vah...kya line hai..aur sahi bhi hai...

    vayasta ki vajah se puri story to nai padh paya...per samay jaroor nikalunga...

    kavyalok.com

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  3. उनकी तारीफ समझ "दीप" के न आई थी
    खुदा का शुक्र जो तस्वीर ही बनायीं थी

    रचना अच्छी लगी

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  4. dip ji aapaki kavitaa bahut hi achchhi hai roj naye blog ban rahe hai lekin har kisi par najar nahi tikati aap ka pryaas kabile gour hai -mamta vyas

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  5. बच गये तभी तो
    नही तो जान पर
    तो बन आयी थी

    बेहद उम्दा और खूबसूरत प्रस्तुति।

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  7. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  8. ब्लाग जगत में आपका स्वागत है।
    आशा है कि आप अपने लेखन से ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।



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