Saturday, June 18, 2011

मौंसम

मौसम की भीगी हवाओं ने हमसे
इशारा किया है कई बार थमके
ये बूँदें तुम्हे भी सुनाती हैं सरगम
या भीगे हैं हम ही खुदा के करमसे

मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे...

रहो न रहो पर ख्यालों में तुम हो
सवालों में तुम हो मिसालों में तुम हो
मौसम का जादू चलो खैरियत है
फिर क्या जो बदली न तबिएत कसमसे

मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे...

सवेरा है नज़रें चुराता शरमसे
ख्यालों की रातों का वादा है हमसे
खोयी है नीदें कभी आपने भी
या हैरान हम ही हैं पिछले जनमसे

मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे
इशारा किया है कई बार थमके

11 comments:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (20-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  2. मौसम की हवाओं के करम भी क्या खूब है ...
    सुन्दर गीत !

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  3. सवेरा है नज़रें चुराता शरमसे
    ख्यालों की रातों का वादा है हमसे
    खोयी है नीदें कभी आपने भी
    या हैरान हम ही हैं पिछले जनमसे.

    क्या बात कही है. बहुत सुंदर लगी आपकी कविता. आभार.

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  4. मौसम के इशारे को समझिए ..अच्छी प्रस्तुति

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  5. बहुत खूब ....

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  6. खोयी है नीदें कभी आपने भी
    या हैरान हम ही हैं पिछले जनमसे ।
    क्या बात है सर ।

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  7. बहुत सुंदर रचना
    बहुत खूब
    प्रभावी प्रस्तुति

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