मौसम की भीगी हवाओं ने हमसे
इशारा किया है कई बार थमके
ये बूँदें तुम्हे भी सुनाती हैं सरगम
या भीगे हैं हम ही खुदा के करमसे
मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे...
रहो न रहो पर ख्यालों में तुम हो
सवालों में तुम हो मिसालों में तुम हो
मौसम का जादू चलो खैरियत है
फिर क्या जो बदली न तबिएत कसमसे
मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे...
सवेरा है नज़रें चुराता शरमसे
ख्यालों की रातों का वादा है हमसे
खोयी है नीदें कभी आपने भी
या हैरान हम ही हैं पिछले जनमसे
मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे
इशारा किया है कई बार थमके
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (20-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
मौसम की हवाओं के करम भी क्या खूब है ...
ReplyDeleteसुन्दर गीत !
सवेरा है नज़रें चुराता शरमसे
ReplyDeleteख्यालों की रातों का वादा है हमसे
खोयी है नीदें कभी आपने भी
या हैरान हम ही हैं पिछले जनमसे.
क्या बात कही है. बहुत सुंदर लगी आपकी कविता. आभार.
मौसम के इशारे को समझिए ..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रभावी प्रस्तुति......
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeletejabardast
ReplyDeleteबहुत खूब ....
ReplyDeleteखोयी है नीदें कभी आपने भी
ReplyDeleteया हैरान हम ही हैं पिछले जनमसे ।
क्या बात है सर ।
subhanallahhhhhhhhhh
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत खूब
प्रभावी प्रस्तुति