अगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में
ग़मों की पढ़कर किताब देखो
गिला जो तुमको हो गर किसी से
लूटे दिलों का हिसाब देखो
झुलस गए बस तपिस में इतनी
जले हुओं के निशान देखो
न बन सका इस जगह पे कोई
नए शहर में मकान देखो
बहुत बड़ी है खुदा की दुनिया
नयी सुवह हर शाम देखो
अगर इरादा बना लिया है
पलट न जाए जुबान देखो
waah kyaa baat hai
ReplyDeleteबहुत खूब्।
ReplyDeletewell said, a nice collection of awesome words, Smell of reality can be felt...
ReplyDeletebhut khoobbbbbbbbbbb
ReplyDeleteअगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में
ReplyDeleteग़मों की पढ़कर किताब देखो
samvedanshil kavita achha prayas ,shukriya ji /
pahli baar padh rahi hoon aapki rachna.bahut achchi ghazal likhi hai aapne.bahut umdaa lines.apne blog par bhi aamantrit karti hoon.
ReplyDeleteखूबसूरत रचना
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ReplyDeleteबहुत बड़ी है खुदा की दुनिया
ReplyDeleteनयी सुवह हर शाम देखो
अगर इरादा बना लिया है
पलट न जाए जुबान देखो
बहुत ही बढ़िया...
achhi lagi ye rachna....thanks for sharing..
ReplyDeletehttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
एक खुबसूरत रचना...
ReplyDeleteरचना चर्चा मंच पर है आज ||
ReplyDeleteअगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में
ReplyDeleteग़मों की पढ़कर किताब देखो
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
Nice job, it’s a great post. The info is good to know!
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