Monday, June 20, 2011

अगर लगे..

अगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में
ग़मों की पढ़कर किताब देखो
गिला जो तुमको हो गर किसी से
लूटे दिलों का हिसाब देखो

झुलस गए बस तपिस में इतनी
जले हुओं के निशान देखो
न बन सका इस जगह पे कोई
नए शहर में मकान देखो

बहुत बड़ी है खुदा की दुनिया
नयी सुवह हर शाम देखो
अगर इरादा बना लिया है
पलट न जाए जुबान देखो

14 comments:

  1. well said, a nice collection of awesome words, Smell of reality can be felt...

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  2. अगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में
    ग़मों की पढ़कर किताब देखो
    samvedanshil kavita achha prayas ,shukriya ji /

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  3. pahli baar padh rahi hoon aapki rachna.bahut achchi ghazal likhi hai aapne.bahut umdaa lines.apne blog par bhi aamantrit karti hoon.

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  4. बहुत बड़ी है खुदा की दुनिया
    नयी सुवह हर शाम देखो
    अगर इरादा बना लिया है
    पलट न जाए जुबान देखो

    बहुत ही बढ़िया...

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  5. achhi lagi ye rachna....thanks for sharing..


    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  6. रचना चर्चा मंच पर है आज ||

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  7. अगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में
    ग़मों की पढ़कर किताब देखो

    खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  8. Nice job, it’s a great post. The info is good to know!

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