तेरी याद थमी बरसात सी लगती है
किसी बेचैन रूह के एहसास सी लगती है
यूँ तो कहते हैं लोग तनहा हमे
मुझे तो हर कदम तू साथ सी लगती है
करोगे किस तरह नसीब अब जुदा हमको
अब जुदाई भी मुलाकात सी लगती है
यूँ तसब्बुर में उनकी हसरतों का बस जाना
कैद भी अब मुझे आज़ाद सी लगती है
इस मोहब्बत को नहीं अब कोई सजा बाकी
कज़ा भी अब मुझे हयात सी लगती है
ज़िन्दगी की शहर जुदा उनसे
नफस भी "दीप" को तलवार सी लगती है
* कज़ा = Death
* हयात = Life
* नफस = Breathe
bahut khoob.....
ReplyDeletebahut hi sundar
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