Thursday, September 2, 2010

मेरे श्याम..

मालिक तेरे कितने नाम
राधा किशन कन्हैया राम
प्रेम की महिमा दिखलाने को
जन्मे जाकर मथुरा धाम

कहते हो आओगे तब तब
धर्म का होगा जब जब काम
फिर बोलो कब होगा मिलना
सच्चाई अब ढलती
शाम

कंस कई हैं आज यहाँ पर
भ्रष्टाचारी और बेईमान
प्रेम पे अब तो सज़ा बड़ी है
पंचायत दे मौत इनाम

देखे सुने जाए अब तो
होते हरदिन ऐसे काम
वस्त्र हरण तो आम बहुत है
माँ लेती बच्चे की जान

कलियुग में बाक़ी है अब कुछ
और नहीं अब लगता श्याम
जाओ इससे पहले की
दुनिया भूले तेरा नाम

6 comments:

  1. very very thoughtful and contemporary
    bahut achhe !!!

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  2. बेहद उम्दा प्रस्तुति।

    ♫ फ़लक पे झूम रही साँवली घटायें हैं रंग मेरे गोविन्द का चुरा लाई हैं रश्मियाँ श्याम के कुण्डल से जब निकलती हैं गोया आकाश मे बिजलियाँ चमकती हैं

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  3. bahut hi sundar prastuti...........man moh lia........ :)

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  4. बहुत सुंदर रचना. मैंने अपने ब्लॉग संग्रह को एक नया नाम दिया है.
    आपका पूर्ववत प्रेम अपेक्षित है .
    www.the-royal-salute.blogspot.com

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  5. Deep,

    Bahut achche baav
    Maalik tere kitne naam.....
    Jis naam se pukar lo vohi uska naam
    Aur aap dil se pukaro woh Dhanushdhari Maryada Purushottam Ram, Bansiwale ko pukaro zaroor aayenge shyam, lekin shrt hai Hriday se pukaro .....
    Surinder Ratti
    Mumbai

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