Friday, October 1, 2010

सीखा है हमने..

सीखा है हमने तो खुद को जला के
नफरत के हरेक रस्ते पे जाके
चिंगारियां अब भड़क न सकेंगी
मोहब्बत की पुरजोर वारिश में आके

कहे कोई अल्लाह या इश्वर बुलाले
सुनेगा उसी की जो दिल से पुकारे
लड़के अगर कुछ बना भी लिया तो
मुश्किल है उसमे वो बैठेगा आके

मंदिर बनाले या मस्जिद बनाले
थोड़ी सी दिल में जगह गर बनाले
इंसानियत की यूँ शम्मा जलाके
क्यों न खुदा को दिलों में बसा ले

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