Tuesday, April 24, 2012

तेरा होना..

तेरा होना तो बहुत है मेरी सांसो के लिए 
धडकनों की मगर ख्वाइश तुझे पाने के लिए 


ज़िन्दगी का सफ़र तनहा भी काट लेंगे सनम 
बात होती जो तू हो साथ निभाने के लिए 


दर्द लेने से नहीं डर हमे हरगिज़ यारों 
तू जो हमदर्द हो मरहम को लगाने के लिए 


यूँ  तो रंगों से भरी ये कायनात खुदा 
हमे दिखता नहीं कुछ और सजाने के लिए 


दीप माना नहीं आसान है करना हासिल 
एक बहाना ही सही दिल को मानाने के लिए 

Saturday, April 21, 2012

कैसे..

दिल से लगाये रहें या खुलके इजहार करें
तुम्ही बताओ किस तरह तुम्हे प्यार करें

मुश्किल होता गुजारा बिन तुम्हारे दिन-ब-दिन
बरसों से सूखती ये ज़मी कैसे गुलज़ार करें

मुद्दतें हो गयी हैं हसरतों को समेटे
कुछ तो सोंचों और कितना इंतज़ार करें

हद हो गयी है दीप समझाने की दिल को
अब कौन सा बहाना हम खुद से इस बार करें


Saturday, April 7, 2012

अब भी..

अब भी तुम्हारी याद किसी सहेली की तरह है
अहसास मानो खाली पड़ी हवेली की तरह है
लगता है ज़ख्म आज भी थोडा तो हरा है
लफ्जो में बयां होती किसी पहेली की तरह है

चाहत कभी जो इस कदर बरसी हो किसी पर
चांदनी में तू खिलती हुई चमेली की तरह है
कोशिश बीते वक़्त की पूरी रही मगर
हर दिन तेरा ख्याल नई नवेली की तरह है

जीना सिखा लिया मगर दिल को कहाँ सुकून
फितरत इसकी आज भी जलेबी की तरह है
नदियों के दो किनारों सी किस्मत है "दीप" की
कहने को है साथ फिर भी अकेली की तरह है

Wednesday, January 11, 2012

मेरी दुनिया में तुम

मेरे जीवन में तुम रहो रहो
मेरी दुनिया में तुम रहोगे सदा
अब निगाहों में तुम रहो रहो
हाँ ख़यालों में तुम रहोगे सदा

मुददतें हो गई सुने तुमको
फिर भी लगता है बुलाओगे अभी
दौर मिलने का अब नहीं सही
मेरी यादों में तुम रहोगे सदा

कुछ तो लगता है की कम है
कोई जगह तो है ख़ाली जरूर
वक़्त भी धुल नहीं पाए जिसको
लहू में घुलके तुम बहोगे सदा

मेरे जीवन में तुम रहो रहो
मेरी दुनिया में तुम रहोगे सदा

Saturday, December 31, 2011

गए बरस को सलाम यारों..

गुजर के हमको सिखा गया जो

गए बरस को सलाम यारों

नया जो आएगा साल अबके

करेगा पूरी मुराद यारों


दिलों की हालत छिपी नहीं है

हरेक दिल में हजारों ख्वाइश

लगे रहो बस लगन से पूरी

मिलेगी मंजिल, जुबान यारों


यही तो जीना है ज़िन्दगी का

ख्याल बन पाए जब हकीकत

नहीं मिला इस दफा तो क्या गम

कभी मिलेगा मुकाम यारों


गुजर के हमको सिखा गया जो

गए बरस को सलाम यारों ...

Friday, November 18, 2011

हो जाए

जुबां का भी लिहाज़ हो जाए
कुछ इशारों में बात हो जाए
लफ्ज शायद बयां न कर पायें
इश्क जब बेहिसाब हो जाए

एक झलक से बड़ा सहारा है
वक़्त हसरत में बहुत गुजारा है
ये सफ़र रुकता नहीं है यादों का
दिन रहे या क़ि रात हो जाए

काश ऐसा हिसाब हो जाए
तेरी मेरी जो बात हो जाए
जीने मरने में मिले सुकूँ दिल को
"दीप" पूरी मुराद हो जाए

जुबां का भी लिहाज़ हो जाए ...


Tuesday, October 25, 2011

दीवाली

दीवाली के दीप जलाओ

फिर सब मिलकर धूम मचाओ

ऐसी रौशन करो ये रात

जगमग हो जाए
संसार

कोई पुरानी भूल शिकायत

नई खुशी से हाँथ मिलाओ

रहे साल भर यादें ताज़ा

ऐसे कुछ ये रात सजाओ

दीवाली के दीप जलाओ ..