Saturday, December 31, 2011

गए बरस को सलाम यारों..

गुजर के हमको सिखा गया जो

गए बरस को सलाम यारों

नया जो आएगा साल अबके

करेगा पूरी मुराद यारों


दिलों की हालत छिपी नहीं है

हरेक दिल में हजारों ख्वाइश

लगे रहो बस लगन से पूरी

मिलेगी मंजिल, जुबान यारों


यही तो जीना है ज़िन्दगी का

ख्याल बन पाए जब हकीकत

नहीं मिला इस दफा तो क्या गम

कभी मिलेगा मुकाम यारों


गुजर के हमको सिखा गया जो

गए बरस को सलाम यारों ...

Friday, November 18, 2011

हो जाए

जुबां का भी लिहाज़ हो जाए
कुछ इशारों में बात हो जाए
लफ्ज शायद बयां न कर पायें
इश्क जब बेहिसाब हो जाए

एक झलक से बड़ा सहारा है
वक़्त हसरत में बहुत गुजारा है
ये सफ़र रुकता नहीं है यादों का
दिन रहे या क़ि रात हो जाए

काश ऐसा हिसाब हो जाए
तेरी मेरी जो बात हो जाए
जीने मरने में मिले सुकूँ दिल को
"दीप" पूरी मुराद हो जाए

जुबां का भी लिहाज़ हो जाए ...


Tuesday, October 25, 2011

दीवाली

दीवाली के दीप जलाओ

फिर सब मिलकर धूम मचाओ

ऐसी रौशन करो ये रात

जगमग हो जाए
संसार

कोई पुरानी भूल शिकायत

नई खुशी से हाँथ मिलाओ

रहे साल भर यादें ताज़ा

ऐसे कुछ ये रात सजाओ

दीवाली के दीप जलाओ ..

Monday, June 20, 2011

अगर लगे..

अगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में
ग़मों की पढ़कर किताब देखो
गिला जो तुमको हो गर किसी से
लूटे दिलों का हिसाब देखो

झुलस गए बस तपिस में इतनी
जले हुओं के निशान देखो
न बन सका इस जगह पे कोई
नए शहर में मकान देखो

बहुत बड़ी है खुदा की दुनिया
नयी सुवह हर शाम देखो
अगर इरादा बना लिया है
पलट न जाए जुबान देखो

Sunday, June 19, 2011

गर यकीं हो

पत्थर पिघल जाएँगे गर यकीं हो
इरादे में पक्की लगन चाहिए
लिखता यकीनन खुदा है ये किस्मत
बनाने में खुद की कसम चाहिए

चले जाएँगे हाँथ खाली यहाँ से
ये दुनिया तो चलती रहेगी सदा
रहे याद बाकि के कुछ दिन जहाँ में
वाजिब है है ऐसी वजह चाहिए

महल तुम बनालोगे हमको यकीं है
कितने हैं जिनको की घर चाहिए
रहेना है गर दीप मरके यहाँ पे
हजारों के घर में जगह में चाहिए

पत्थर पिघल जाएँगे गर यकीं हो
इरादे में पक्की लगन चाहिए ..

Saturday, June 18, 2011

मौंसम

मौसम की भीगी हवाओं ने हमसे
इशारा किया है कई बार थमके
ये बूँदें तुम्हे भी सुनाती हैं सरगम
या भीगे हैं हम ही खुदा के करमसे

मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे...

रहो न रहो पर ख्यालों में तुम हो
सवालों में तुम हो मिसालों में तुम हो
मौसम का जादू चलो खैरियत है
फिर क्या जो बदली न तबिएत कसमसे

मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे...

सवेरा है नज़रें चुराता शरमसे
ख्यालों की रातों का वादा है हमसे
खोयी है नीदें कभी आपने भी
या हैरान हम ही हैं पिछले जनमसे

मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे
इशारा किया है कई बार थमके

Sunday, February 13, 2011

मिलती हो तुम बस ख्यालों में..

मोहब्बत की होटों पे सुर्खी चढ़ाके
पलकों पे काजल शरम का लगाके
माथे पे चंदा की बिंदिया सजाके
मिलती हो तुम बस ख्यालों में आके

हर रोज़ दिल में सजाते हैं तुमको
और भी खूबसूरत बनाते हैं तुमको
तस्वीर दिल में में जो देखोगी अपनी
रह न सकोगी कहीं और जाके

उम्मीद में रात कितनी बिताएं
सवेरा कोई तो तुम्हे लेके आये
ख्वाइश मेरी "दीप" कहती है हमसे
जी भर के देखें तुमको बिठाके

हमें इस कदर यूँ दीवाना बनाके
क्यों मिलती हो तुम बस ख्यालों में आके..