Friday, May 28, 2010

तेरी याद..

तेरी याद थमी बरसात सी लगती है
किसी बेचैन रूह के एहसास सी लगती है
यूँ तो कहते हैं लोग तनहा हमे
मुझे तो हर कदम तू साथ सी लगती है

करोगे किस तरह नसीब अब जुदा हमको
अब जुदाई भी मुलाकात सी लगती है
यूँ तसब्बुर में उनकी हसरतों का बस जाना
कैद भी अब मुझे आज़ाद सी लगती है

इस मोहब्बत को नहीं अब कोई सजा बाकी
कज़ा भी अब मुझे हयात सी लगती है
ज़िन्दगी की शहर जुदा उनसे
नफस भी "दीप" को तलवार सी लगती है

* कज़ा = Death
* हयात = Life
* नफस = Breathe

Thursday, May 27, 2010

डूबती कश्ती...

डूबती कश्ती हमे मिलके बचाना होगा
फिर वही किस्से नयी धुन में सुनाना होगा

आज फुर्सत ही कहाँ खुद की गमें उलझन से
अबके वारिश में यहाँ कौन नहाना होगा

बात बीती की पडोसी के यहाँ जाते थे
अब तो शायद ही कभी हाँथ मिलाना होगा

ये मोहब्बत जो कभी दिल की बात होती थी
हैसियत देख के अब दिल भी लगाना होगा

कुछ तो बांकी हो शराफत की शाख दुनियां में
लफ्ज तहजीब के बच्चों को सिखाना होगा

आज सम्हले नहीं गर फिर तो भरोसा है हमे
"दीप" कुछ और दिनों का ये जमाना होगा

डूबती कश्ती हमे मिलके बचाना होगा.

Wednesday, May 26, 2010

ख्वाब..

चाहत की ख्वाइश तो थी ही नहीं
पहेले कभी वो मिली ही नहीं
बस मुस्कराहट के कायल थे हम
फिर होंटों पे उसके खिली ही नहीं

कई रोज़ बीते मुलाकात को
ये हसरत तो अब तक मिटी ही नहीं
कहीं इसका तूफाँ इरादा न हो
ये हलचल जो अबतक थमी ही नहीं
इशारा तो उसने किया था जरूर
पर दूर जाकर मुड़ी ही नहीं
ये मौसम ही शायद रहा बेरुखा
हवाओं में बिलकुल नमी ही नहीं

वो किस्सा बाज़ारों में हर शाम आम
कहानी जो अबतक बनी ही नहीं
मोहब्बत नहीं वो तो एक ख्वाब था
ज़माने ने मेरी सुनी ही नहीं

जुदाई..

अब नहीं गम तेरी जुदाई का
दर्द हल्का हाँ मगर है बेवफाई का

कभी सोंचा न किये थे रहे उल्फत में
इस कदर गमजदा अंजाम आशनाई का

वो बड़े खुश हैं नए घर में ऐसा लगता है
शुक्रिया दोस्त मेरी हौसला अफजाई का

खुद की हालत पे हमे आज रंज आता है
ये सिला खूब मिला हमको रहनुमाई का

यूँ तो जाता रहा सबकुछ ही खैर देखेंगे
ये भी मंजूर मुझे फैसला खुदाई का

* उल्फत = love = प्यार
* आशनाई = love affair
* हौसला अफजाई = encouragement
* रहनुमाई = patronage

अच्छा हुआ..

रिश्ता ही नहीं था जो कहें दिल दुखा गया
वो शख्स हमे फिर भी बहुत कुछ सिखा गया

घर हसरतों अरमान का तो ढह गया लेकिन
ये हादसा मिटटी को परखना सिखा गया

ठोकर तो लगी हाँ मगर आये तो होश में
छोटा सा जख्म गिर के सम्हलना सिखा गया

शिकवा करे कितना भी सिकायत करे हजार
वो बेरुखी से प्यार का मतलब सिखा गया

अब याद तो आएगी "दीप" प्यार किया था
अच्छा हुआ जो दर्द से लड़ना सिखा गया

Wednesday, May 19, 2010

ज़िन्दगी..

एक अनजानी अजनवी सी आस है ज़िन्दगी
कभी खुद से दूर कभी पास है ज़िन्दगी
बस कहने को खड़े हैं हम दरिया के किनारे
पल पल बढती हुई प्यास है ज़िन्दगी

इस तपती हुई धूप में कोई कितना चलेगा
मंजिलों के हैं सिलसिले और तलाश है ज़िन्दगी
अपने और कितने बेगाने हैं यहाँ
उलझे हुए रिश्तों का जाल है ज़िन्दगी

हांसिल नहीं जिनको एक पल का सुकून
कहते हैं वो खूबसूरत ख्याल है ज़िन्दगी
नादाँ हैं वो दीप जिनको सबकुछ पता है
लम्हा दर लम्हा एक कयास है ज़िन्दगी

* कयास = अंदाज़ा = अनुमान = Guess

आजमा के देखो..

ज़िन्दगी है खूबसूरत आजमा के देखो
दिल के कोने में हमको बिठा के देखो
तुम्हारे लिए ही खुली हैं ये बाहें
कभी इनमे खुद को भुला के देखो

तसल्ली मिलेगी यकीं है हमारा
करीब इतना आओ दिल मिला के देखो
हसरतों की यूँ कोई इन्तेहाँ नहीं होती
साथ होने का बस लुत्फ़ उठा के देखो

बहुत कुछ है हममे बहुत कुछ है तुममे
नहीं है जो उसको भुला के देखो
मेरा इस जमाने में सब कुछ तुम्ही हो
मुझे अपना सबकुछ बना के देखो

ज़िन्दगी है खूबसूरत आजमा के देखो ..

Tuesday, May 18, 2010

क्यों है..

इन आँखों को किसी का इंतज़ार क्यों है
थोडा ही सही दिल बेक़रार क्यों है
यूँ तो मौसम साफ़ है और धूप है निकली
फिर भी किसी तूफ़ान का अहसास क्यों है