चलने की ख्वाइशें बड़ी कमज़ोर हो गईं
न जाने कौन साथ मेरा छोड़ गया है
ख़ामोश लग रही है काएनात अब मुझे
गुफ्तगू के सिलसिले जो तोड़ गया है
क़दमों ने इस तरह से परेशान किया है
जाना कहाँ है जैसे कोई भूल गया है
धड़कन भी एक दम से बेइमान हो गई
हैरान दिल भी हमसे अभी बोल गया है
क्या बात क्या बात क्या बात | बढ़िया | आभार |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
Thanks !
Deleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज के ब्लॉग बुलेटिन पर |
ReplyDeleteThanks !
Deleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteThanks !
Deleteबेहतरीन .....
ReplyDeleteThanks !
Deleteवे पास रहकर दूर गए
ReplyDeleteहम ठगे देखते रहे ..
बहुत सुन्दर
Thanks !
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