फिसल जरा और धोखा खा
गिरकर उठना सीख जरा
बन जाएगा बड़ा खिलाडी
हिम्मत रख मैदान में आ
किस्मत वाला जीतेगा
अब किसको ये मालूम नहीं
गिर गिर कर बाज़ी मार जरा
कुछ नया सा कर कुछ नई सुना
हिम्मत रख मैदान में आ ...
आंधी आई तूफां आया
गाँव बह गया पानी में
मिलती है हर साल खबर ये
बदले नाम कहानी में
इसके आगे बोल सके तो
फिर है बात जवानी में
और बुरा क्या हो पाएगा
चलदे रात तूफानी में
बहती धारा में सब तैरें
तू चलके उलटी धार में आ
कुछ नया सा कर कुछ नई सुना
हिम्मत रख मैदान में आ ...
बहती धारा में सब तैरें
ReplyDeleteतू चलके उलटी धार में आ
कुछ नया सा कर कुछ नई सुना
हिम्मत रख मैदान में आ ...
बढ़िया अभिव्यक्ति,,,,
RECENT POST ,,,,फुहार....: न जाने क्यों,
बहुत सुन्दर जी दीप जी
ReplyDeleteWah........
ReplyDeleteKhubsurat......
इसके आगे बोल सके तो
ReplyDeleteफिर है बात जवानी में
और बुरा क्या हो पाएगा
चलदे रात तूफानी में
बहती धारा में सब तैरें
तू चलके उलटी धार में आ
हौसले बुलंद करती सशक्त रचना के लिए बधाई.......
वाह दोस्त पूरा आजका विसंगत परिवेश और सकारात्मकता का संरक्षण दोनों का बेहतरीन सहजीवन प्रतुत करतें हैं पोस्ट के रचनात्मक स्वर ... .. ..... .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
सोमवार, 25 जून 2012
नींद से महरूम रह जाना उकसाता है जंक फ़ूड खाने को
http://veerubhai1947.blogspot.com/
वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८ ,१८८ ,यू एस ए .