मेरे जीवन में तुम रहो न रहो
मेरी दुनिया में तुम रहोगे सदा
अब निगाहों में तुम रहो न रहो
हाँ ख़यालों में तुम रहोगे सदा
मुददतें हो गई सुने तुमको
फिर भी लगता है बुलाओगे अभी
दौर मिलने का अब नहीं न सही
मेरी यादों में तुम रहोगे सदा
कुछ तो लगता है की कम है
कोई जगह तो है ख़ाली जरूर
वक़्त भी धुल नहीं पाए जिसको
लहू में घुलके तुम बहोगे सदा
मेरे जीवन में तुम रहो न रहो
मेरी दुनिया में तुम रहोगे सदा
yaadein... bahut khoob
ReplyDeleteबेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें .
ReplyDeleteनीरज
thanks sonal and neeraj ji
ReplyDeletebahut khoob,,,,Deep sahab
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, सादर.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग meri kavitayen की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.