अगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में
ग़मों की पढ़कर किताब देखो
गिला जो तुमको हो गर किसी से
लूटे दिलों का हिसाब देखो
झुलस गए बस तपिस में इतनी
जले हुओं के निशान देखो
न बन सका इस जगह पे कोई
नए शहर में मकान देखो
बहुत बड़ी है खुदा की दुनिया
नयी सुवह हर शाम देखो
अगर इरादा बना लिया है
पलट न जाए जुबान देखो
Monday, June 20, 2011
Sunday, June 19, 2011
गर यकीं हो
पत्थर पिघल जाएँगे गर यकीं हो
इरादे में पक्की लगन चाहिए
लिखता यकीनन खुदा है ये किस्मत
बनाने में खुद की कसम चाहिए
चले जाएँगे हाँथ खाली यहाँ से
ये दुनिया तो चलती रहेगी सदा
रहे याद बाकि के कुछ दिन जहाँ में
वाजिब है है ऐसी वजह चाहिए
महल तुम बनालोगे हमको यकीं है
कितने हैं जिनको की घर चाहिए
रहेना है गर दीप मरके यहाँ पे
हजारों के घर में जगह में चाहिए
पत्थर पिघल जाएँगे गर यकीं हो
इरादे में पक्की लगन चाहिए ..
इरादे में पक्की लगन चाहिए
लिखता यकीनन खुदा है ये किस्मत
बनाने में खुद की कसम चाहिए
चले जाएँगे हाँथ खाली यहाँ से
ये दुनिया तो चलती रहेगी सदा
रहे याद बाकि के कुछ दिन जहाँ में
वाजिब है है ऐसी वजह चाहिए
महल तुम बनालोगे हमको यकीं है
कितने हैं जिनको की घर चाहिए
रहेना है गर दीप मरके यहाँ पे
हजारों के घर में जगह में चाहिए
पत्थर पिघल जाएँगे गर यकीं हो
इरादे में पक्की लगन चाहिए ..
Saturday, June 18, 2011
मौंसम

इशारा किया है कई बार थमके
ये बूँदें तुम्हे भी सुनाती हैं सरगम
या भीगे हैं हम ही खुदा के करमसे
मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे...
रहो न रहो पर ख्यालों में तुम हो
सवालों में तुम हो मिसालों में तुम हो
मौसम का जादू चलो खैरियत है
फिर क्या जो बदली न तबिएत कसमसे
मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे...
सवेरा है नज़रें चुराता शरमसे
ख्यालों की रातों का वादा है हमसे
खोयी है नीदें कभी आपने भी
या हैरान हम ही हैं पिछले जनमसे
मौंसम की भीगी हवाओं ने हमसे
इशारा किया है कई बार थमके
Sunday, February 13, 2011
मिलती हो तुम बस ख्यालों में..

पलकों पे काजल शरम का लगाके
माथे पे चंदा की बिंदिया सजाके
मिलती हो तुम बस ख्यालों में आके
हर रोज़ दिल में सजाते हैं तुमको
और भी खूबसूरत बनाते हैं तुमको
तस्वीर दिल में में जो देखोगी अपनी
रह न सकोगी कहीं और जाके
उम्मीद में रात कितनी बिताएं
सवेरा कोई तो तुम्हे लेके आये
ख्वाइश मेरी "दीप" कहती है हमसे
जी भर के देखें तुमको बिठाके
हमें इस कदर यूँ दीवाना बनाके
क्यों मिलती हो तुम बस ख्यालों में आके..
Saturday, December 11, 2010
लाज
Thursday, December 9, 2010
देखा था हमने
धुंधली यादों में कुछ ,साये
बदले मौसम जब याद आये
कहने की तो बात नहीं है
हम सब हैं कुछ खोते आये
तेज़ भागती दुनिया में सब
आगे पीछे होते जाएँ
वक़्त कहीं तो चला गया वो
चलते थे जब साथ में साये
ऐसे ही बदलेगी दुनिया
बदलेंगे सब रिश्ते नाते
हाँ लेकिन देखा था हमने
जो रह रह कर याद है आये
बदले मौसम जब याद आये
कहने की तो बात नहीं है
हम सब हैं कुछ खोते आये
तेज़ भागती दुनिया में सब
आगे पीछे होते जाएँ
वक़्त कहीं तो चला गया वो
चलते थे जब साथ में साये
ऐसे ही बदलेगी दुनिया
बदलेंगे सब रिश्ते नाते
हाँ लेकिन देखा था हमने
जो रह रह कर याद है आये
Friday, October 1, 2010
सीखा है हमने..
सीखा है हमने तो खुद को जला के
नफरत के हरेक रस्ते पे जाके
चिंगारियां अब भड़क न सकेंगी
मोहब्बत की पुरजोर वारिश में आके
कहे कोई अल्लाह या इश्वर बुलाले
सुनेगा उसी की जो दिल से पुकारे
लड़के अगर कुछ बना भी लिया तो
मुश्किल है उसमे वो बैठेगा आके
मंदिर बनाले या मस्जिद बनाले
थोड़ी सी दिल में जगह गर बनाले
इंसानियत की यूँ शम्मा जलाके
क्यों न खुदा को दिलों में बसा ले
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